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पंडित - Prophet of Humanity

 पंडित कोई जाति नहीं है यह कर्म का नाम है पंडित तीन प्रकार के हैं    कर्म पंडित -  जो व्यक्ति अपने जीवन का प्रयोग दूसरों को ज्ञान शिक्षा और मनुष्य सेवा में लगा दे चाहे वह किसी भी जाति का हो गए पंडित है| 2. शरीर से पंडित- जो अपने शरीर में किसी भी प्रकार के जीव जंतु का मांस ना ले जो सब जीवो पर दया करें प्रकृति द्वारा दिए गए फल सब्जियों का भक्षण करें वही पंडित है केवल सात्विक भोजन करें |  3.-  बचन से पंडित -  जो व्यक्ति इस सत्य बोले शब्दों का प्रयोग ना करें( वहीं जहां जरूरत है) हर स्थिति में नारी का सम्मान करें वही पंडित है | मैं जब अपने नाम के आगे पंडित लिखता हूं तब मैं इन जिम्मेदारियों को निभा रहा हूं तभी लिखता हूं जातिवाद नहीं यह कर्म बाद है कोई भी मनुष्य पंडित बन सकता है बस उसको यह नियम मानने होंगे |  तिलक लगाने से ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने से और दिखावा से पंडित नहीं बनता कोई यह कर्म का नाम है |   दुनिया को इनकी जरूरत है आइए पंडित बनिए

AP Writes ✍️

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साथ दोगे क्या......

 मैंने सपना नहीं अपना भविष्य का दर्शन किया  याद रखना उनको भी जिन्होंने साथ नहीं दिया है  कामयाबी के साथ लोगों को भी बदलते देखना  चेहरे वही होंगे स्वर बदलते देखना |   मैंने अपने जीवन  को एक लक्ष्य दिया है  उसे पाने के लिए सब त्याग दिया है,   साथ देने से बस गति बढ़ जाएगी तुम नहीं होंगे तो क्या कामयाबी नहीं आएगी ?    तुम्हारे बिना सब अधूरा सा होगा |  रुपया तो होगा पर कंगाल सा में होगा  कह दोगे बस इतना' मैं साथ हूं'  दुनिया का सबसे खुशनसीब  तब मैं हूं |   

EK dost

एक दोस्त सब के पास होता है .......   कुछ दोस्त होते हैं जो आपके खास होते हैं  दिन की शुरुआत और रात का अंत उन्हीं के साथ होता है बात ना करें तो दिन बेकार सा होता है  आपके अलावा कुछ खास नहीं होता है  जब रोते हैं तो उसी को फोन होता है  खुशी की बात सांझा करने का पहला साथ ही वही होता है  जब रूठ जाए दुनिया रूठी लग जाती है  मनाने में भी मजा खास होता है  वह गुस्सा करे आपसे तब एहसास होता है  भले कमीना हूं मैं पर वह आपके साथ होता है     उसका नाम भी आप आप खुद रखते हैं  पहचान उसकी आप से जुड़ जाती है  गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड से ऊपर आपकी दोस्ती पहुंच जाती  है   जन्मदिन भूल कर भी मुस्कुराता है  ₹5 के गिफ्ट से मजा उसी के आता है    एक दोस्त जो खास होता है...... 

ap motivation

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 मैं लडूंगा या लड़ते-लड़ते मर जाऊंगा |  कर रहा हूं अपने मन की ,कभी ना पछताऊंगा | 

उसको सच पसंद ना आया यह कैसा जमाना था

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  मैंने अपनी गलती को माना था.  उसको सच पसंद ना आया ये कैसा जमाना था......   वो किसी और के हो जाएं हमें मंजूर है  झूठ के साथ रिश्ता हमें ना नामंजूर हैं  अभी जाकर यह उसको एक सच और बताना था.  कितनी झूठी तेरी हंसी कितना झूठा तेरा फसाना था उसको सच पसंद ना आया यह कैसा जमाना था........    प्यार का मतलब अगर शरीर से होता  रूह के अंदर खुदा भी ना होता.  भूल जाऊंगा तेरे हर चेहरे के नूर की याद को  हम नहीं कोई और इस पर बर्बाद हो...   हम तो फरिश्ते हैं शैतान को भी दुआ देते हैं  तेरे झूठे प्यार को हम भुला देते हैं  लेकिन तुझको याद दिलाना था  सच मेरा पसंद ना आया यह कैसा जमाना था..      

APDaliy Line November 1

कोई अपनी 'दुनिया' को बनाने में लगे हैं | हम अपनी 'दुनिया' को बनाने में लगे हैं |

कर्म - एक पहचान

समुंदरों से शांत ,ज्वाला सा गर्म हूं| हे मानस तेरे हाथ का वो कर्म हूं || सोचने से तुझको तेरा रास्ता मिल जाएगा| आगे तुझको  तेरा कर्म ही ले जाएगा| कुरान की कलमा ,गीता का मर्म हूं हे ...

भरोसा - एक पहचान

आम बात है लोग भरोसा करते हैं |भरोसे के दम पर जिंदगी में बताते हैं |हिंदी में उसे विश्वास इंग्लिश में उसे बिलीव कहते हैं पर इसके मायने जिंदगी में सबसे ज्यादा |विश्वास की दम पर ह...