काश दिल बोल पाता

 'कविता की आधार कुछ यू है एक प्रेमी का एक प्रेमिका के प्रति प्रेम  जो की व्यक्त नही कर पा रहा तब बह चाहता है की काश उसका हृदय बोल उठे और सच प्रेमिका जाने ......... 
आनंद लीजिए एक प्रेम रस की कविता का '  -  अविनाश 




काश दिल बोल पाता.
.. 
कि हर धड़कन के साथ तुझे याद किया है
कैसे तेरी हर बात को गाना की तरह गुनगुनाते है 
कैसे तेरी तस्वीर को सिरहाने लगाते है 
कैसे तुम सपनो मे साड़ी मे आयी थी 
कैसे हम साथ हाथों मे हाथ सागर किनारे घूमें

दिल क्या चाहता है बताता हु 
तेरे साथ हँसना चाहता हु 
थोड़ा रोना चाहता हु 
दुनिया का कोना कोना तेरे साथ घूमना चाहता हु 
राज जिन्दगी के बाटना चाहता हु 
एक बुल्लेट की सवारी हो 
भारत का नजारा तेरे साथ चाहता हु
छोटा घर एक बगीचा, एक कुत्ता भी होगा 
सपनो का घर कुछ ऐसा होगा
बच्चों की मा मे तुझे चाहता हु 
सुबह का नास्ता मैं बनाउ 
साथ मैं  योगा भी करना चाहता हु
क्या बताऊ कितना चाहता हु। 

काश दिल बोल पाता 









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