केवल मानव अधिकार ही क्यों ? अविनाश पाठक
और हनन को रोकने के लिए कितने कानून है
और जीवों को काटा जाता है, हत्यारों को शिकारी का शव्द दिया गया
लाश खाने बालों के लिए मुर्दा घर भी खुले है लोग KFC कहते है मैं बिल्कुल धार्मिक नही मै तो अविनाशवादी विचार धारा को लिख ही नही उसे ही धर्म मानता,
सत्य ही सर्वोपरि है, जैसे मानव की आवादी है वैसे ही अब हर जीव और पेड़ की आवादी गिन ली गयी है पर किसी ने भी इनको अधिकार देने के लिए न सोचा किस्मत अच्छी है भारत मै पैदा हुआ जिसकी संस्कृति मे सिखाया जाता है हर आत्मा एक जैसी है इसलिए जब बुद्धि आती है तब दूसरे के भी दर्द दिखते है और पछतावा होता है, वर्ना अन्य देशों में तो हत्या (मांस) को पाप तक न कहा इतिहास के बड़े बड़े मुर्ख देवताओं जैसे है । या तब सही थे पर अब समय के साथ वो तो निपट लिये पर उनके नियम न बदल पाये।
सभी को समान अधिकार के लिए कदम उठाना जरूरी है वरना आज जो ये छोटे जीव की लाश खा रहे बिना पछतावे के कल के दिन नरभक्षी न बन जाए और अंधी सरकारें या और हरामखोर नौकर दुनिया को मिटा दे।
जीव अधिकार दिवस की शुरुआत करनी पड़ेगी ,हर जीव को जीने का अधिकार मिले ।
जब ईश्वर ने सबको हवा ,पानी, सूर्य बिना भेदभाव के दिया तो ये भेदभाव किसने किया?
तो बोल भी सकता हैं पर इन जीवों के लिए
में ही हूँ.............
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